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MCQ इकाई-1 व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय

व्यष्टि अर्थशास्त्र MCQ इकाई 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय में बहुविकल्पीय प्रश्नों का अध्ययन करेंगे।

बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक के परीक्षा में पूछे जाते हैं।

साथ ही साथ एक अंक के प्रश्नों में एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर , रिक्त स्थान , सही जोड़ियां एवं सत्य असत्य प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगे।

MCQ प्रश्न NCERT सभी Board Exam एवं प्रतियोगिता परीक्षा में उपयोगी है।

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● आर्थिक क्रिया (Economic Activity) - उस क्रिया को आर्थिक क्रिया कहते हैं जिसका सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए सीमित साधनों के उपयोग से होता है। ध्यान दें : आय का सृजन करने वाली सभी क्रियाएँ आर्थिक क्रियाएँ हैं, किन्तु सभी आर्थिक क्रियाएँ आवश्यक रूप से आय सृजित करने वाली क्रियाएँ नहीं होतीं। आर्थिक क्रिया के प्रकार (Kinds of Economic Activity)-

(i) उत्पादन, (ii) उपभोग, (iii) विनिमय - (a) वस्तु कीमत निर्धारण तथा (b) साधन कीमत निर्धारण, (iv) निवेश ।

उत्पादन के एजेण्ट (Agents of Production)- (i) भूमि, (ii) श्रम, (iii) पूँजी, (iv) संगठन, (v) उद्यमिता ।

व्यष्टि (सूक्ष्म) अर्थशास्त्र (Micro Economics) - व्यष्टि (सूक्ष्म) अर्थशास्त्र में केवल एक व्यक्तिगत इकाई की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक उपभोक्ता का व्यवहार, एक उत्पादक अथवा फर्म द्वारा उत्पादन क्रिया आदि अनेक ऐसी आर्थिक क्रियाएँ हैं जो व्यक्तिगत आर्थिक इकाई से सम्बन्धित हैं जिनका अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र में किया जाता है।

• समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economics) - समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है। उदाहरण के लिए, समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय राष्ट्रीय बचत, राष्ट्रीय विनियोग, कुल रोजगार, कुल उत्पादन, सामान्य कीमत स्तर आदि का अध्ययन किया जाता है।

• आर्थिक समस्या (Economic Problem) - विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए सीमित साधनों के प्रयोग से उत्पन्न चयन की  समस्या को हो आर्थिक समस्या कहते हैं। • आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती है? (Why does an Economic Problem arises ?)

 (i) असीमित आवश्यकताएँ (Unlimited Wants) |

 (ii) आवश्यकताओं की तीव्रता में अन्तर (Difference in Wants) । (iii) आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन (Means) सीमित (Scarce) हैं।

(iv) साधनों का वैकल्पिक प्रयोग (Alternative Uses of Resources) |

(v) चयन के चुनाव की समस्या (Problem of Choice) |

• अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ (Central Problems of an Economy)

 (i) क्या और कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए ?

 (ii) कैसे उत्पादन किया जाए ?

 (iii) किसके लिए उत्पादन किया जाए ?

 (iv) साधनों के कुशलतम उपयोग की समस्या,

 (v) साधनों के विकास की समस्या।

 • उत्पादन सम्भावना वक्र (Production Possibility Curve) यह वक्र दो वस्तुओं के सम्भावित संयोगों को प्रकट करता है। यह दो मुख्य मान्यताओं पर आधारित है-

 (i) स्थिर तकनीकी, (ii) स्थिर साधन।

 • उत्पादन सम्भावना वक्र की विशेषताएँ (Characteristics of Production Possibility Curve)

 (i) बाएँ से दाएँ नीचे की ओर झुकती है।

 (ii) उत्पादन सम्भावना वक्र मूल बिन्दु के प्रति नतोदर (Concave to the origin) होता है।

उत्पादन सम्भावना वक्र का खिसकना (Shift in Production Possibility Curve) -

 (i) साधनों में परिवर्तन,

(ii) तकनीक में परिवर्तन ।

उत्पादन सम्भावना वक्र द्वारा केन्द्रीय समस्याओं का विश्लेषण (Analysis of Central Problems)

(i) उत्पादन सम्भावना वक्र पर कोई भी बिन्दु यह प्रकट करता है कि वस्तु X तथा वस्तु Y की कितनी मात्रा का उत्पादन किया जा रहा है?

(ii) उत्पादन सम्भावना वक्र के नीचे स्थित कोई बिन्दु साधनों के अपूर्ण उपयोग को दर्शाता है।

(iii) उत्पादन सम्भावना वक्र का दाई ओर खिसकना आर्थिक विकास को व्यक्त करता है। अवसर लागत (Opportunity Cost ) - एक वस्तु की अवसर लागत दूसरी वस्तु की वह मात्रा है जिसे पहली वस्तु के उत्पादन के लिए छोड़ना पड़ता है।

 

सीमान्त अवसर लागत (Marginal Opportunity Cost ) - एक वस्तु की सीमान्त अवसर लागत किसी दूसरी वस्तु की वह मात्रा है जिसे पहली वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने के लिए छोड़ना पड़ता है।

 

उत्पादन सम्भावना वक्र का ढलान सीमान्त अवसर लागत को दर्शाता है (Slope of PPC Shows Marginal Opportunity Cost) - उत्पादन सम्भावना वक्र का ढलान बढ़ता है (क्योंकि उत्पादन सम्भावना वक्र मूल बिन्दु की ओर नतोदर है)। इसी कारण, जब साधनों को एक उपयोग से हटाकर दूसरे उपयोग में लगाया जाता है तो सीमान्त अवसर लागत में बढ़ने की प्रवृत्ति पाई जाती है।

उत्पादन सम्भावना वक्र की आकृति (Shape of PPC)- उत्पादन सम्भावना वक्र मूल बिन्दु की और नतोदर है, क्योंकि जब साधनों को एक उपयोग से हटाकर दूसरे उपयोग में लगाया जाता है तो सीमान्त अवसर लागत में बढ़ने की प्रवृत्ति पाई जाती है।