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MCQ ईकाई -3 मुद्रा और बैंकिंग

































व्यावसायिक बैंक (वाणिज्यिक बैंक) – व्यावसायिक बैंक वह संस्था है जो मुद्रा और साख में व्यापार करती है। व्यावसायिक बैंक ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से जनता से जमा स्वीकार करते हैं।

 

व्यावसायिक बैंकों के कार्य (Functions ofCommercial Banks)- व्यावसायिक बैंकों के कार्य मुख्य रूप से तीन हैं

 

किया जाता है-

 

व्यावसायिक बैंकों के कार्य (Functions of वाणिज्यिक बैंकों) – व्यावसायिक बैंकों के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-

 

(i)              मुख्य कार्य, (ii) गौण कार्य तथा (iii) सामाजिक कार्य।

 

(1)                       मुख्य कार्य-

 

(i)              जमा स्वीकार करना,

 

(ii)           ऋण देना तथा

 

 

(iii)         साख निर्माण।

 

(2)                       गौण या द्वितीयक कार्य-

 

(i)              एजेंस्ट के रूप में कार्य,

 

(ii)           सामान्य उपयोगिता के कार्य तथा

 

 

(ii)सामाजिक कार्य।

 

(3)                       सामाजिक कार्य-बैंकों का आर्थिक विकास में योगदान।

 

साख निर्माण का अर्थ (Meaning of Credit Creation)- साख- निर्माण से लेकर समुद्र तटीय वाणिज्यिक बैंकों की उस शक्ति (Power) तक का अर्थ है, जिससे वे प्राथमिक जमाओं के आधार पर गौण जमाओं का विस्तार करते हैं।

 

प्राथमिक जमा (प्राथमिक जमा) – प्राथमिक जमा वे जमा हैं जो जमा पुर्तगालियों द्वारा बैंक में वास्तविक मुद्रा के रूप में (अर्थात नुकसान में) जमा किये जाते हैं।

 

व जमा (व्युत्पन्न जमा) – व प्राथमिक जमाज का परिणाम है क्योंकि बैंक अपने कैश कोष के आधार पर ही साख प्रदान करता है। व्हाट्सऐप जमों को साख जम भी कहते हैं।

 

 

केन्द्रीय बैंक (Central Bank) – केन्द्रीय बैंक सर्वोच्च मौद्रिक संस्था है जो देश की सम्पूर्ण मौद्रिक एवं बैंकिंग व्यवस्था को नियन्त्रित करता है। केन्द्रीय बैंक देश की मौद्रिक नीति का निर्माता एवं संचालक होता है।

 

केन्द्रीय बैंक के कार्य (Functions of the Central Bank)-

(i) नोट निगर्मन का एकाधिकार, (ii) सरकार का बैंकर, एजेण्ट एवं वित्तीय परामर्शदाता, (iii) बैंकों का बैंक (iv) अन्तिम ऋणदाता, (v) विदेशी विनिमय कोषों का संरक्षक, (vi) समाशोधन गृह के कार्य, (vii) साख का नियन्त्रण, (viii) विकासात्मक कार्य तथा (ix) अन्य कार्य।

 

साख नियन्त्रण के उपाय (Methods of Credit Control)-मौद्रिक नीति के उपायों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है, जैसे- (a) मात्रात्मक उपाय तथा (b) गुणात्मक या चयनात्मक उपाय ।

 

साख नियन्त्रण के मात्रात्मक उपाय (Quantitative Instruments of Credit Control) – मात्रात्मक साख नियन्त्रण में निम्नलिखित उपाय सम्मिलित होते हैं- (a) बैंक दर, (b) खुले बाजार की क्रियाएँ, (c) नकद कोष अनुपात (CRR), (d) वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)))

 

बैंक दर (Bank Rate)- बैंक दर वह है जिस पर केन्द्रीय बैंक सदस्य बैंकों के प्रथम श्रेणी के व्यापारिक बिलों की पुनर्कटौती करता है और उन्हें ऋण देता है।

 

खुले बाजार की क्रियाएँ (Open Market Operations) – साख नियन्त्रण में खुले बाजार की क्रियाओं से अभिप्राय केन्द्रीय बैंक द्वारा मुद्रा बाजार में सरकारी तथा निजी संस्थाओं की प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय से होता है।

 

नकद कोष अनुपात (Cash Reserve Ratio – CRR) – देश के प्रत्येक व्यापारिक बैंक को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत कानूनी रूप से केन्द्रीय बैंक के पास नकद कोष के रूप में जमा करना पड़ता है जिसे नकद कोष अनुपात (CRR) कहते हैं।

 

सांविधिक तरल अनुपात (Statutory Liquidity Ratio) – सांविधिक तरल अनुपात का अभिप्राय उन जमाओं से है जिनको व्यापारिक बैंकों को अपनी कुल आस्तियों (Assets) के एक निश्चित अनुपात में अपने पास तरल रूप में रखना पड़ता है।

 

गुणात्मक अथवा चयनात्मक साख का नियन्त्रण (Qualitative or Selective Credit Control)- चयनात्मक साख नियन्त्रण वह साख नियन्त्रण हैं जो कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए दी जाने वाली तथा विशेष बैंकों द्वारा दी गयी साख की मात्रा को नियमित करता है। इसे गुणात्मक साख नियन्त्रण (Qualitative Credit Control) भी कहा जाता है