व्यष्टि अर्थशास्त्र MCQ इकाई-5 बाजार संतुलन में
बहुविकल्पीय प्रश्नों का अध्ययन करेंगे।
बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक के परीक्षा में पूछे जाते हैं।
साथ ही साथ एक अंक के प्रश्नों में एक शब्द या एक वाक्य में
उत्तर , रिक्त स्थान , सही जोड़ियां एवं सत्य
असत्य प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगे।
MCQ प्रश्न NCERT सभी Board Exam एवं प्रतियोगिता परीक्षा
में उपयोगी है।
• सन्तुलन Equilibrium ) - यह वह अवस्था है जिसमें परिवर्तन की कोई प्रवृत्ति नहीं पायी जाती ।
● सन्तुलन कीमत ( Equilibrium Price ) - जिस कीमत पर क्रेता वस्तु को खरीदने के
लिए तैयार है तथा विक्रेता बेचने को तैयार है , वह वस्तु की सन्तुलन या साम्य कीमत
होती है । सन्तुलन कीमत पर वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति आपस
• सन्तुलन मात्रा ( Equilibrium Quantity ) - सन्तुलन मात्रा वह मात्रा है जिस पर किसी
वस्तु की माँगी गई मात्रा तथा माँगी गई पूर्ति बराबर होते हैं । एक - दूसरे के बराबर
होती है ।
• सन्तुलन कीमत का निर्धारण ( Determination of
Equilibrium Price ) -
सन्तुलन कीमत उस बिन्दु पर निर्धारित होती है जिस पर माँग तथा पूर्ति बराबर होती है
।
• समय तत्व तथा सन्तुलन कीमत ( Time Element and
Equilibrium Price ) -
समय जितना कम होगा , कीमत निर्धारण में माँग पक्ष उतना ही अधिक शक्तिशाली होगा , इसी
प्रकार समय जितना अधिक होगा , कीमत निर्धारण में पूर्ति की भूमिका उतनी ही सशक्त हो
जाएगी ।
( 1 ) अति अल्पकाल ( Very Short Period ) - अति अल्पकाल समय की वह अवधि है जिसमें
किसी वस्तु की पूर्ति को उसके वर्तमान स्टॉक से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है । अतः
अति अल्पकाल में पूर्ति पक्ष पूर्णत : उदासीन होता है ।
( 2 ) अल्पकाल ( Short Period ) - अल्पकाल समय की वह अवधि है जिसमें उत्पादन
का कम - से - कम एक साधन स्थिर रहता है । उत्पादन के स्थिर साधनों की पूर्ति में कोई
परिवर्तन नहीं किया जा सकता । परिवर्तनशील साधनों का अधिक या कम मात्रा में प्रयोग
करके उत्पादन में परिवर्तन किया जा सकता है । अल्पकाल में माँग के साथ पूर्ति भी कीमत
निर्धारण में कुछ सक्रिय भूमिका निभाती है ।
( 3 ) दीर्घकाल ( Long Period ) - दीर्घकाल समय की वह अवधि है जिसमें सभी
साधन परिवर्तनशील होते हैं । पूर्ति को उसकी माँग के अनुसार कम या अधिक किया जा सकता
है । माँग के बढ़ने पर नई फर्मों उद्योग में प्रवेश कर सकती हैं तथा माँग के कम होने
पर पुरानी फर्मे उद्योग को छोड़ सकती हैं । दीर्घकाल में पूर्ति पूर्णतया सक्रिय हो
जाती है ।
● बाजार कीमत ( Market Price ) - यह कीमत माँग एवं पूर्ति द्वारा निर्धारित
अंति अल्पकालीन कीमत है जो वास्तव में बाजार में प्रचलित होती है । बाजार कीमत में
उतार - चढ़ाव आते रहते हैं और यह सामान्य कीमत के चारों ओर घूमती रहती है ।
• सामान्य कीमत ( Normal Price ) - यह कीमत दीर्घकालीन है जो माँग और पूर्ति
की शक्तियों के स्थायी सन्तुलन द्वारा निर्धारित होती है । यह कीमत काल्पनिक है जिसके
चारों ओर बाजार कीमत घूमती रहती है ।
• माँग में परिवर्तन होने का कीमत पर प्रभाव (
Effect of Change in Demand on Price ) - यदि पूर्ति स्थिर रहती है तो माँग बढ़ने पर कीमत एवं सन्तुलन मात्रा
बढ़ती है तथा माँग कम होने पर कीमत एवं सन्तुलन मात्रा भी कम होती है ।
माँग परिवर्तन की दो विशेष स्थितियाँ ( Two
Specifie Situations of Change in Demand ) ( A ) पूर्णतया लोचदार पूर्ति
की स्थिति में माँग में परिवर्तन ( Change in Demand in Case of Perfectly Elastic
Supply ) - पूर्णतया लोचदार पूर्ति की स्थिति में माँग बढ़ने या कम होने
का सन्तुलन कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता , परन्तु सन्तुलन मात्रा में माँग बढ़ने पर
वृद्धि होती है तथा माँग घटने पर कमी होती है ।
( B ) पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति की स्थिति में माँग
में परिवर्तन ( Change in Demand in Case of Perfectly Inelastic Supply ) पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति की स्थिति में
पूर्ति के कम होने पर सन्तुलन कीमत बढ़ जाती है तथा पूर्ति के बढ़ने पर सन्तुलन कीमत
घट जाती है , किन्तु पूर्ति घटने अथवा बढ़ने का सन्तुलन मात्रा पर कोई प्रभाव नहीं
पड़ता । • पूर्ति में होने वाले परिवर्तन का कीमत पर
प्रभाव ( Effects of Change in Supply on Price ) - माँग के स्थिर रहने
पर पूर्ति के बढ़ने से कीमत कम होती है , लेकिन पूर्ति के कम होने से कीमत तो बढ़ती
है , किन्तु सन्तुलन मात्रा में कमी हो जाती है ।
पूर्ति परिवर्तन की दो विशेष स्थितियाँ ( Two
Specifie Situations of Change in Supply ) ( A ) पूर्णतया लोचदार माँग की स्थिति में
पूर्ति में परिवर्तन ( Change in Supply in Case of Perfectly Elastic Demand ) — पूर्ण लोचदार माँग की स्थिति में पूर्ति
के अधिक या कम होने का सन्तुलन कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता , परन्तु पूर्ति के अधिक
होने पर सन्तुलन मात्रा अधिक हो जाती है और पूर्ति के कम होने पर सन्तुलन मात्रा कम
हो जाती है ।
( B ) पूर्णतया बेलोचदार माँग की स्थिति में पूर्ति
में परिवर्तन ( Change in Supply in Case of Perfectly Inelastic Demand ) - पूर्णतया बेलोचदार माँग की स्थिति में
पूर्ति के कम होने पर सन्तुलन कीमत बढ़ जाती है तथा पूर्ति के बढ़ने पर सन्तुलन कीमत
घट जाती है , किन्तु पूर्ति घटने अथवा बढ़ने का सन्तुलन मात्रा पर कोई प्रभाव नहीं
पड़ता । • माँग तथा पूर्ति में एक साथ परिवर्तन का
सन्तुलन कीमत पर प्रभाव ( Effect of Simultaneous Change in Demand and Suppir •
on Equilibrium Price ) - माँग तथा पूर्ति में एक साथ परिवर्तन होने के
फलस्वरूप
( 1 ) माँग के पूर्ति की तुलना में अधिक बढ़ने पर सन्तुलन कीमत में
वृद्धि होती है ।
( 2 ) माँग तथा पूर्ति में समान वृद्धि का सन्तुलन कीमत पर कोई प्रभाव
नहीं पड़ता ।
( 3 ) पूर्ति के माँग की तुलना में अधिक बढ़ने पर सन्तुलन कीमत कम
हो जाती है तथा सन्तुलन मात्रा बढ़ जाती है ।