समष्टि अर्थशास्त्र MCQ इकाई 5 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय में बहुविकल्पीय प्रश्नों का अध्ययन करेंगे।
बहुविकल्पीय प्रश्न 1 अंक के परीक्षा में पूछे जाते हैं।
साथ ही साथ एक अंक के प्रश्नों में एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर , रिक्त स्थान , सही जोड़ियां एवं सत्य असत्य प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगे।
MCQ प्रश्न NCERT सभी Board Exam एवं प्रतियोगिता परीक्षा में उपयोगी है।
बजट (Budget)- बजट एक वित्तीय वर्ष (भारत में अप्रैल 1 से मार्च 31 तक) में सरकार को अनुमानित आय तथा व्यय का विवरण होता है।। बजट के उद्देश्य (Objectives of the Budget) – (i) आर्थिक विकास को प्रोत्साहन, (ii) सन्तुलित क्षेत्रीय विकास, (iii) आय एवं सम्पत्ति का
पुनःवितरण (iv) आर्थिक स्थिरता,
(v) रोजगार का सृजन, (vi) सार्वजनिक उपक्रमों का प्रबन्ध। बजट की संरचना (Structure of the Budget)- (a) राजस्व बजट में सरकार की राजस्व आय तथा राजस्व
व्यय सम्मिलित होता है और ●
(b) पूँजीगत बजट में सरकार की पूँजीगत आय तथा
पूँजीगत व्यय सम्मिलित होता है।
राजस्व प्राप्तियाँ ( Revenue Receipts) – सरकार की वे
प्राप्तियाँ जिन्हें वापस लौटाने का सरकार पर कोई दायित्व नहीं होता।
• पूँजीगत प्राप्तियाँ (Capital Receipts) – पूँजीगत
प्राप्तियाँ वे मौद्रिक प्राप्तियाँ हैं जिनसे सरकार की देयता (Liability) उत्पन्न होती है या परिसम्पत्ति कम होती है। ● कर (Tax) – कर एक ऐसा भुगतान है जो आवश्यक रूप से सरकार को परिवारों,
फर्मों या संस्थागत इकाइयों द्वारा दिया जाता है। इसके बदले
में किसी सेवा प्राप्ति की आशा नहीं की जा सकती है।
• प्रगतिशील कर (Progressive Tax) – प्रगतिशील करों
में करदाता की आय जितनी अधिक होती है, उतने ही अधिक अनुपात में वे कर अदा
करते हैं।
प्रतिगामी कर ( Regressive Tax) – इस कर प्रणाली में करों
की दर आय वृद्धि के साथ-साथ घटती जाती है। आनुपातिक कर
(Proportional
Tax)- आनुपातिक कर वह कर है जिसमें सभी आय स्तरों पर
एक समान दर से कर लगाया जाता है।
● मूल्यानुसार कर (Ad-valorem Tax) – इस कर का सम्बन्ध
वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य के साथ होता है।
• विशिष्ट कर (Specific Tax) – जब किसी वस्तु पर उसकी
इकाई, आकार या तोल के अनुसार कर लगाया जाता है तो उसे विशिष्ट कर कहते हैं।
प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) – प्रत्यक्ष कर उस व्यक्ति
पर लगाया जाता है जिसे उसका भार स्वयं ही उठाना पड़ता है और उसे किसी दूसरे पर
टाला नहीं जा सकता। अप्रत्यक्ष कर (Indirect
Tax)- अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगाया जाता है। आरम्भ में यह
उत्पादक व्यापारी द्वारा
चुकाया जाता है किन्तु इसके अन्तिम भार को कर वाली वस्तु की
कीमत में वृद्धि करके वस्तु के अन्तिम क्रेता पर डाल दिया जाता है। बिक्री
कर इसका उदाहरण है।
राजस्व व्यय (Revenue Expenditure)- सरकार का राजस्व
व्यय वह व्यय है जो (i) न तो परिसम्पत्तियों का
निर्माण करते हैं और (ii) न हो सरकार की देयताओं में कमी आती है।
• पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure ) — पूँजीगत व्यय से तात्पर्य
उस व्यय से है जिसके फलस्वरूप सरकार के लिए परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है या
सरकार की देयता में कमी आती है।
योजना व्यय (Plan Expenditure ) – योजना व्यय उस
व्यय को कहते हैं जो सरकार द्वारा देश के योजनाबद्ध विकास कार्यक्रम पर किया जाता
है। उदाहरण के लिए, सिंचाई के लिए नहरों के निर्माण पर किया
जाने वाला व्यय । गैर-योजना व्यय (Non-plan
Expenditure)- गैर-योजना व्यय से अभिप्राय उस व्यय से है जिसका योजनाओं
में कोई प्रावधान नहीं किया जाता।
विकास व्यय (Development Expenditure) – ऐसा व्यय जो देश के
सामाजिक और आर्थिक विकास से सौधा सम्बन्ध रखता है, विकासात्मक व्यय कहलाता है।
कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक कल्याण, वैज्ञानिक अनुसंधान आदि पर
किया गया व्यय विकासात्मक व्यय कहलाता है।
गैर-विकास व्यय (Non-development Expenditure)- वह व्यय जिसका देश के विकास कार्यक्रमों के साथ कोई सम्बन्ध नहीं होता है। और
जो अर्थव्यवस्था में वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह में प्रत्यक्ष तौर पर कोई
योगदान नहीं देते, उदाहरण, सुरक्षा पर व्यय ।
• सन्तुलित बजट (Balanced Budget) में कुल व्यय कुल
आय । = घाटे का बजट (Deficit
Budget) में कुल व्यय कुल आय ।
बचत का बजट (Surplus
Budget) में कुल व्यय कुल आय । राजस्व घाटा (Revenue Deficit) में राजस्व प्राप्तियाँ राजस्व व्यय ।
राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) = (राजस्व व्यय + पूँजीगत
व्यय) • [ ( राजस्व प्राप्तियाँ + पूँजीगत प्राप्तियाँ (सरकारी ऋणों के अतिरिक्त)।
प्राथमिक घाटा (Primary
Deficit) = राजकोषीय घाटा ब्याज का भुगतान।
विनिमय दर (Foreign Exchange Rate) – वह दर जिस पर एक
मुद्रा का दूसरी मुद्रा में विनिमय किया जाता है, उसकी विनिमय दर कहलाती है। स्थिर
विनिमय दर (Fixed Rate of Exchange)- स्थिर विनिमय दर से
अभिप्राय उस विनिमय दर व्यवस्था से है जिसमें देश की मुद्रा की विदेशी विनिमय दरें
पूर्व-निर्धारित बिन्दुओं पर रखी जाती है। बाजार की माँग एवं पूर्ति की शक्तियों
का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
• लोचदार विनिमय दर (Floating or Flexible Exchange Rate)- लोचदार विनिमय दर
वह प्रणाली है जिसके अन्तर्गत विनिमय दर का निर्धारण अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार
में विभिन्न मुद्राओं की माँग व पूर्ति के मूल्यों के अनुसार होता है। विनिमय दरें
माँग व पूर्ति में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप परिवर्तित होती रहती हैं।
व्यापार शेष (Balance of Trade) – व्यापार शेष का सम्बन्ध व्यापार की केवल दृश्य मर्दों (Visible Items) से है। किसी देश के कुल दृश्य निर्यात एवं कुल
दृश्य आयात के मूल्यों में जितना अन्तर होता है, उसे व्यापार शेष कहा जाता है।
भुगतान शेष (Balance of Payment)- भुगतान शेष एक देश का
दूसरे देश के साथ एक निश्चित अवधि में किये गये आर्थिक लेन-देन या प्राप्तियों (Receipts) व भुगतानों (Payments) का विवरण होता
है।
आर्थिक सौदे (Economic Transactions)- भुगतान सन्तुलन
के आर्थिक सौदों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है— (i) दृश्य मर्दे, (ii) अदृश्य मदें तथा (iii) पूँजी अन्तरण ।
व्यापार शेष और भुगतान शेष में अन्तर (Difference between Balance of Trade and Balance of
Payment ) – व्यापार शेष तथा भुगतान
शेष में भिन्नता पाई जाती है। व्यापार शेष में केवल दृश्य मदों का लेखा होता है।
भुगतान शेष में दृश्य तथा अदृश्य मदों के अतिरिक्त पूँजी अन्तरण का लेखा भी
सम्मिलित होता है।
भुगतान शेष का चालू खाता तथा पूँजी खाता (Current Account and Capital Account of Balance of
Payment) (1) चालू खाता वह खाता है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं
के आयात और निर्यात एवं एकपक्षीय भुगतानों का हिसाब-किताब रखा जाता है।
(2) पूँजी खाते में उन सब सौदों का लेखा रखा जाता है जो एक
देश के निवासियों अथवा उनकी सरकार की परिसम्पत्तियों अथवा देनदारियों की स्थिति में परिवर्तन लाते हैं।
• भुगतान सन्तुलन की अन्य
मदें (Other Items of
Balance of Payment)- इसमें (i) भूल-चूक तथा (ii) सरकारी रिज़र्व सौदे सम्मिलित किये जाते हैं।
भुगतान शेष की संरचना (Structure of Balance of Payment) – भुगतान शेष की
संरचना में सम्मिलित घटक निम्न हैं- (1) चालू खाता- जिसमें दृश्य व्यापार शेष,
अदृश्य व्यापार शेष तथा पूँजी अन्तरण सम्मिलित हैं।
(2) पूँजी खाता-जिसमें सरकारी सौदे, निजी सौदे, प्रत्यक्ष
निवेश तथा पोर्टफोलियो निवेश सम्मिलित हैं।
भुगतान सन्तुलन में असमानता के कारण (Causes of Disequilibrium in Balance of Payment)—
(1)
प्राकृतिक कारण,
(2)
आर्थिक कारण- (i) विकास व्यय, (ii) व्यापार चक्र, (iii) बढ़ती कीमतें, (iv) आयात प्रतिस्थापना, (v) अन्य आर्थिक
कारण। (3) राजनीतिक कारण- (i) अधिक सुरक्षा व्यय, (ii) अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, (iii) दूतावासों का
विस्तार, (iv) राजनीतिक अस्थिरता, (v) सामाजिक कारण।